कुषाण काल में कला का विकास
भारतीय कला: कुषाण काल से आधुनिकता तक
by Basant Kumar*, Dr. Sanjay Kumar,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 3, Issue No. 5, Jan 2012, Pages 0 - 0 (0)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
कला का उद्भव हजारों वर्ष पूर्व हुआ। भारतीय कला हमारी बहुमूल्य सांस्कृतिक धरोहर है। मनुष्य में कला के प्रति प्रेम प्राकृतिक वातावरण के नैसर्गिक सौन्दर्य और दैनिक जीवन की घटनाओं को देखकर उत्पन्न हुआ। मानव-जीवन में कला का एक दूसरे से सदैव के घनिष्ठतम सम्बन्ध रहा है। भारतीय कला की इस धरोहर पर हमें गर्व होना चाहिए क्योंकि अन्य देशों की सभ्यताएँ जब प्रथम सोपान पर अपना पाँव रख रही थीं, तो आज से हजारों वर्ष पहले हमारी सैन्धव सभ्यता इतनी विकसित सभ्यता थी कि वहाँ के कलात्मक अवशेषों को देखकर आँखें चकाचैंध हो जाती हैं। इन कलात्मक अवशेषों पर जब विश्व के अन्य देशों की नजर पड़ी तो वे आश्चर्यचकित रह गये। अतः भारत की उन्नतशील सभ्यता के प्रति द्वेष-भाव पैदा होना स्वाभाविक बात थी। कला मानव की आन्तरिक अनुभूति का प्रकट रूप है। मानव मस्तिष्क में जिस प्रकार का भाव शिल्पी के अन्तःकरण में उठता है वहीं से एक अनगढ़ पत्थर पर पड़ने वाली छेनी से उसका आकार रूप सामने परिलक्षित होता है।
KEYWORD
कुषाण काल, कला, भारतीय कला, सांस्कृतिक धरोहर, मनुष्य, प्रेम, सौन्दर्य, जीवन, संबंध, धरोहर