दतिया रियासत के विभिन्न बुन्देला शासको का अध्ययन

दतिया राज्य के इतिहास का अध्ययन: बुन्देला शासकों और मुगलकाल के संबंध

by Rajendra Kumar Khare*, Dr. Ram Avataar Sharma,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 4, Issue No. 8, Oct 2012, Pages 0 - 0 (0)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

दतिया राज्य के संस्थापक महाराज वीरसिंह देव बुन्देला सम्राट अकबर और जहांगीर के समकालीन थे। इसी प्रकार दतिया के प्रथम शासक भगवानदास बुन्देला शाहजहां के और शुभकरन तथा दलपतराव बुन्देला सम्राट औरंगजेब के समकालीन थे। दतिया राज्य के आलोच्य काल के इतिहास का अध्ययन मध्यकालीन भारतीय इतिहास के शोध छात्रों और जिज्ञासु पाठकों के लिये अत्यन्त महत्वपूर्ण है। मुगलकाल के दिल्ली से दक्षिण जाने वाले राजमार्ग की सीमाएं दतिया राज्य से लगती थीं। औरंगजेब के समय में उसके राठौरों से युद्ध में उलझ जाने और बुन्देलखण्ड में महाराज छत्रसाल बुन्देला द्वारा स्वतन्त्रता युद्ध के प्रारम्भ कर देने के कारण राजस्थान से तथा छत्रसाल बुन्देला अधिकृत बुन्देलखण्ड के भाग से सम्राट को दक्षिण के युद्धों के लिये सैनिक मिलना बन्द हो गये थे। ऐसी स्थिति में दतिया राज्य से, शासकों से मुगलों के अच्छे सम्बन्ध होने के कारण सैनिकों की पूर्ति होने लगी। दतिया पर निर्भरता होने के कारण औरंगजेब का दतिया के राजा दलपतराव के प्रति कृपा पूर्ण रूख हो गया था। दतिया के शासकों ने औरंगजेब और उसको भाइयों के बीच हुए उत्तराधिकार के युद्ध तथा दक्षिण की अनेक लड़ाइयों में भी निर्णायक भूमिका अदा की थी। इसके साथ दतिया के शासक काल प्रेमी भी थे। बुन्देली स्थापत्य कला तथा दतिया कलम की चित्रशैली के उद्भव और विकास की जानकारी के लिए भी दतिया राज्य के इतिहास का अध्ययन आवष्यक है। बुन्देलखण्ड का दतिया राज्य उसकी पष्चिमी सीमा पर स्थित था।

KEYWORD

दतिया राज्य, बुन्देला शासकों, मुगलकाल, इतिहास, सैनिकों, बुन्देली स्थापत्य कला, दतिया कलम