साहित्य की प्रगतिशील परम्परा और रामविलास शर्मा

Exploring the Progressive Tradition of Literature through the Criticism of Ramvilas Sharma

by Anand Kumar Yadav*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 4, Issue No. 8, Oct 2012, Pages 1 - 4 (4)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

रामविलास शर्मा के पहले आलोचना की कई परम्पराएँ चल रही थीं। एक ही समय में कई परम्पराओं या विचारधाराओं का साथ-साथ चलना अस्वाभाविक नहीं है। इतिहास के काल विशेष में कई प्रकार की विचारधाराएँ एक दूसरे को काटती-पीटती टकराती चलती रहती हैं। नये आलोचक को उनमें से ऐसी परम्परा अन्वेषित करनी पड़ती है जो साहित्य और समाज को नयी दिशा देने में समर्थ हो।

KEYWORD

रामविलास शर्मा, परम्परा, साहित्य, विचारधारा, आलोचना, समाज, विशेष में, विचारधाराएँ, नयी दिशा, चलती रहती