मोहन राकेश के नाटकों में स्त्री-पुरुष के सम्बन्धों की विडम्बना और एक दूसरे के अभाव की रिक्तता

Exploring Relationships and Void in Mohan Rakesh's Plays

by Anita .*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 7, Issue No. 14, Apr 2014, Pages 0 - 0 (0)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

राकेश ने ’आषाढ़ का एक दिन’ नाटक में जीवन स्पन्दन को पकडते हुए मूल्य-बोध द्वारा नाटक को समग्रता प्रदान की है। नाटक के पात्र जीवन्त और स्वाभाविक हैं। व्यक्ति मन का विश्लेषण बड़े ही सूक्ष्म और हृदयग्राही ढंग से किया गया है। राकेश को स्त्री-पुरुष के सम्बन्धों की विडम्बना को अलग-अलग स्तरों पर पकड़ने के प्रयत्न में सफलता मिलती है। जिसका प्रदर्शन राकेश के कहानी, उपन्यास और नाटक सभी विधा की रचना में होता है। अपनी सभी रचना-विधाओं में राकेश ने आज की व्यवस्था का माखौल बखूबी उड़ाया है।

KEYWORD

मोहन राकेश, नाटक, स्त्री-पुरुष सम्बन्ध, विडम्बना, अभाव