राजस्थान में भूमिगत जल संसाधनों का भौगोलिक अध्ययन
भूजल संसाधनों की गुणवत्ता और विकास: राजस्थान में भौगोलिक अध्ययन
by Dr. Vijay Kumar Verma*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 9, Issue No. 18, Apr 2015, Pages 1 - 8 (8)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
प्रस्तुत शोध पत्र में राजस्थान में भूमिगत जल संसाधनों का भौगोलिक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य है लेकिन कुल धरातलीय जल संसाधनों में उसका हिस्सा केवल लगभग एक प्रतिशत है। सीमित बारिश और जमीनी पानी के गिने चुने संसाधनों के चलते इसके लिए भूजल का स्तर और गुणवत्ता बहुत मायने रखती है। राज्य के विकास की कुंजी के रूप में जल संसाधनों का महत्वपूर्ण स्थान है। यह सर्वविदित है कि सभी जल संसाधनों का पुनः भराव मुख्यतः वर्षा के द्वारा होता है, जो निश्चित रूप से सीमित है। भूजल विकास राजस्थान के पश्चिमी भागों की तुलना में पूर्वी भागों में अधिक है। पश्चिमी राजस्थान में भूजल पुनर्भरण अपेक्षाकृत कम है। अनिश्चित वर्षा, सतही जल संसाधनों की अनुपस्थिति तथा उच्च वाष्पोत्सर्जन इसके कारण हैं। तथापि कुछ जलधारक जो गहरे हैं, उनमें वार्षिक पुनर्भरण से कई गुणा अधिक संग्रहण है, अतः शुष्क अवधि में भी किसी प्रतिकूल प्रभाव के बिना, जल का निरंतर दोहन किया जा सकता है। जल प्रकृति की अनमोल धरोहर है। यदि जल व्यर्थ बहेगा तो आने वाले समय में पानी की कमी एक गहन संकट बन जाएगी। विवेकपूर्ण ढंग से जल का उपयोंग करें तो जल की उपलब्धता लम्बे समय तक बनी रहेगी। आप स्वयं पानी बचाएं एवं अपने आस पास के लोंगो को भी इसके लिए प्रेरित करें।
KEYWORD
भूमिगत जल संसाधनों, भौगोलिक अध्ययन, राजस्थान, जल संसाधनों, भूजल का स्तर, गुणवत्ता, वर्षा, भूजल विकास, वाष्पोत्सर्जन, जल प्रकृति