उत्तरी भारत में तुर्की शासन :20 वीं सदी के दौरान ब्रिटिश और भारतीय इतिहास लेखन के एक आकलन

उत्तरी भारत में तुर्की शासन के दौरान इतिहास लेखन का आकलन

by Vichitra Vijay*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 10, Issue No. 19, Jul 2015, Pages 0 - 0 (0)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

भारतीय इतिहास में 13 वीं सदी और 20 वीं सदी के दो युगों में इतिहास लेखन के क्षेत्र में एक नई शुरुआत हुई। जिसमे 13वीं सदी में तुर्की सुल्तानों का शासन बताया गया है जो अदालत वृत्तान्त की भारत- फारसी इतिहास लेखन कार्य भारतीय इतिहास के लेखन में एक नये चरण की शुरुआत की स्थापना के लिए जाना जाता है। 20वीं सदी के वैज्ञानिक ऐतिहासिक लेखन की सुबह जो ब्रिटिश और भारतीय इतिहासकारों के प्रयासों से भारत में और विदेशों में चिह्नित है। इन लेखों के एक आकलन से नए अंतर्दृष्टि की शुरुआत हुई और पहले से ही 20वीं सदी ज्ञान इतिहासकारों के लेखन के माध्यम से प्रचारित आपूर्ति करता रहा। क्यों कि तुर्की सुल्तानों के शासन के 20वीं सदी के दौरान इतिहासकारों के ब्रिटिश और भारतीय स्कूलों में अध्ययन का एक केन्द्र बिन्दु इरादों और इन इतिहासकारों के उद्देश्य की पुष्टी कर रहे थे। इतिहास लेखन की प्रकृति को 20वीं सदी के दौरान लिखा गया था। जिसका भारत में ऐतिहासिक लेखन के भविष्य पर मजबूत प्रभाव है 13 वीं सदी दिल्ली सल्तनत के वर्षों में ही नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक प्रक्रियाओं के कार्यो को भी जारी करने के लिये माना जाता है जिसके कारण यह भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अवधि में है बल्कि इसलिए भी कि आधुनिक विद्वानों की चेतना में भी थे, इस सदी के कारण ही भारत में मुस्लिम शासन की नींव स्थापित हो सकी थी। जिसके कारण इतिहास पर सीधा असर राजनीतिक संस्थाओं धर्म और उत्तरी भारत में तुर्की शासन की राजनीति के साथ तीन साहित्यिक कृतियों 20वीं सदी में दिखाई दी।

KEYWORD

उत्तरी भारत, तुर्की शासन, ब्रिटिश, भारतीय इतिहास लेखन, आकलन, इतिहास, ब्रिटिश और भारतीय इतिहासकारों, वैज्ञानिक ऐतिहासिक लेखन, ज्ञान, इरादों, आधुनिक विद्वानों, मुस्लिम शासन, राजनीतिक संस्थाओं, धर्म, तीन साहित्यिक कृतियों