छायावादी रचनाकारों ने दोनों दायित्व निभाया रचनात्मक भी और आलोचनात्मक भी

छायावाद के द्विवेदीयुग के रचनाकारों का साहित्यिक जीवन और काव्य-रचना

by Dr. Asha Tiwari Ojha*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 11, Issue No. 21, Apr 2016, Pages 1 - 6 (6)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

हिंदी साहित्य के इतिहास में छायावाद द्विवेदीयुग के बाद की काव्य-धारा है जो अपने साथ काव्य-रचना की नवीन पद्धति और नूतन शैली के साथ साहित्य में प्रवेश करती है। इसके आधार स्तम्भ छायावादी चतुष्टय माने जाते हैं जो क्रमशः जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, सुमित्रानंदनपंत और महादेवी वर्मा हैं। अगर हम इन चारों रचनाकारों के साहित्यिक-जीवन पर दृष्टिपात करें तो ये हमें आलोचक नहीं बल्कि विशुद्ध कवि नजर आते हैं। काव्य इनके रचना कर्म का प्रमुख पक्ष है आलोचना गौड़ पक्ष।

KEYWORD

छायावाद, द्विवेदीयुग, काव्य-धारा, काव्य-रचना, साहित्य, पद्धति, शैली, स्तम्भ, रचनाकारों, साहित्यिक-जीवन