शासकीय एवं अशासकीय प्रशिक्षण महाविद्यालयों के छात्र/छात्रा अध्यापकों के मूल्यों का तुलनात्मक अध्ययन
by Dr. Ullhas Dadhakar*, Dr. Rakesh Kumar David, Manoj Kumar Sahu,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 11, Issue No. 22, Jul 2016, Pages 219 - 222 (4)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
भारतीय संविधान की प्रस्तावना मे भारत को सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न लोकतन्त्रात्मक, धर्म निरपेक्ष, समाजवादी गणराज्य बनाने के लिये उसके समस्त नागरिको को न्याय, स्वतन्त्रता, समानता और भ्रातृत्व प्रदान किये जाने का उल्लेख है। यही हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य है, यही हमारे राष्ट्र के मूल्य व उद्देश्य है। इन राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए शिक्षा को एक सशक्त माध्यम माना गया है और यह सही भी है क्योंकि प्रत्येक राष्ट्र ने अपनी अद्वितीय सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के लिये अपनी अलग राष्ट्रीय प्रणाली का विकास किया है। भारत में इस दिशा मे प्रयास 1948 से प्रारम्भ हुए थे जबकि डॉ. राधकृष्णन की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग का गठन किया गया और सन् 1952 में श्री मुदालियर की अध्यक्षता में माध्यमिक शिक्षा आयोग गठित हुआ, इन आयोगों की रिर्पोट आयी, क्रियान्वित भी हुई किन्तु शिक्षा के समग्र रूप पर विचार डी. कोठारी की अध्यक्षता वाले शिक्षा आयोग (1964-66) ने किया, जिसके आधर पर जुलाई 1968 में सर्वप्रथम स्वतन्त्र भारत की प्रथम राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की गई।
KEYWORD
छात्र/छात्रा, अध्यापकों, मूल्यों, शासकीय, अशासकीय, प्रशिक्षण, महाविद्यालयों, न्याय, स्वतन्त्रता, समानता