गीता में योग की संकल्पना
A Study on Yoga in the Bhagavad Gita
by Gautam Tenkale*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 12, Issue No. 23, Oct 2016, Pages 514 - 517 (4)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
महर्षि पतंजलि द्वारा लिखित योग सूत्र में चार पाद (अध्याय) और 195 सूत्र हैं। पतंजलि का योगदर्शन, समाधि, साधन, विभूति और कैवल्य इन चार पादों या भागों में विभक्त है। पतंजलि योग दर्शन का स्थान भारतीय षड् आस्तिक दर्शनों में महत्वपूर्ण है।- पतंजलि के अनुसार चित्त की वृत्तियों को चंचल होने से रोकना (चित्तवृत्तिनिरोध) ही योग है। अर्थात मन को इधर-उधर भटकने न देना, केवल एक ही वस्तु में स्थिर रखना ही योग है।
KEYWORD
गीता, योग, पतंजलि, योग सूत्र, योगदर्शन, महार्षि, समाधि, साधन, विभूति, कैवल्य