रामचरितमानस में सामाजिक पर्यावरण चेतना

व्यावसायिक लक्ष्यों के साथ सर्वाधिक प्रभावी समाजिक पर्यावरण संरक्षण

by Suman Lata*, Prof. Manvendra Pathak,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 12, Issue No. 2, Jan 2017, Pages 667 - 670 (4)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

पर्यावरण की संकल्पना अत्यंत व्यापक है हमारे चारों ओर व्याप्त संसाधन ही जैविक और अजैविक रूप से पर्यावरण की रचना करते हैं यानि पर्यावरण हमारे चारों ओर का आवरण है। मनुष्य भी पर्यावरण संरचना के जैविक घटक का महत्त्वपूर्ण और अभिन्न अंग है चेतना का विकास मानव मस्तिष्क से हुआ है। मस्तिष्क तक पहुँचने वाले आवेग सवेंग, चितंन ही चेतना को जन्म देते हैं।

KEYWORD

रामचरितमानस, सामाजिक पर्यावरण चेतना, पर्यावरण संकल्पना, व्यापक संसाधन, जैविक घटक, मनुष्य, मस्तिष्क, आवेग, चेतना