कमलेश्वर के उपन्यासों में नारी मनोविज्ञान

Exploring the portrayal of women in Kamleshwar's novels and films

by Narender Kumar*, Dr. Govind Dwivedi,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 12, Issue No. 2, Jan 2017, Pages 867 - 872 (6)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

कमलेश्वर ने अनेक हिंदी फिल्मों की पट-कथाएँ भी लिखी हैं। उन्होंने सारा आकाश, अमानुष, आँधी, सौतन की बेटी, लैला, व मौसम जैसी फ़िल्मों की पट-कथा के अतिरिक्त 'मि. नटवरलाल', 'द बर्निंग ट्रेन', 'राम बलराम' जैसी फ़िल्मों सहित अनेक हिंदी फ़िल्मों का लेखन किया। दूरदर्शन (टी.वी.) धरावाहिकों में 'चंद्रकांता', 'युग', 'बेताल पचीसी', 'आकाश गंगा', 'रेत पर लिखे नाम' इत्यादि का लेखन किया। कमलेश्वर की रचनाओं में तेजी से बदलते समाज का बहुत ही मार्मिक और संवेदनशील चित्रण दृष्टिगोचक रहा है। वर्तमान की महानगरीय सभ्यता में मनुष्य के अकेलेपन की व्यथा और उसका चित्रांकन कमलेश्वर की रचनाओं की विशेषता रही है।

KEYWORD

कमलेश्वर, उपन्यास, नारी मनोविज्ञान, हिंदी फिल्म, फ़िल्मों सहित अनेक हिंदी फ़िल्मों का लेखन, दूरदर्शन धरावाहिकों, रचनाओं, महानगरीय सभ्यता, मनुष्य के अकेलेपन, चित्रांकन