भीष्म साहनी के साहित्य में नारी-चेतना: राष्ट्रीय सन्दर्भ

An Exploration of Women's Consciousness in the Literature of Bhisham Sahni

by Promila .*, Dr. Govind Dwivedi,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 12, Issue No. 2, Jan 2017, Pages 935 - 940 (6)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

नारी प्रकृति रूपा है, प्रकृति परमपुरुष की इच्छा का प्रतिफलन है।प्रसिद्ध है कि जगन्नियता को जब एकाकी रमने में कुछ ऊब सी हुई तो वे स्वकीयइच्छा-शक्ति से एक से दो हो गए। उस तरह से प्रकृति की सुरुचिपूर्ण रमण सृष्टिहै। वह पुरुष की पूरक है। उसे आदिकाल से ही समस्त सृष्टि की संचालिकाशक्ति माना जाता है। नारी के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। नारीके संयोग से ही संसार आगे बढ़ता है।

KEYWORD

भीष्म साहनी, साहित्य, नारी-चेतना, राष्ट्रीय सन्दर्भ, प्रकृति