शिवप्रसाद सिंह के साहित्य में चित्रित समाज में पारिवारिक व्यवस्था

Exploring Social Aspects in the Literature of Shivprasad Singh

by Poonam .*, Dr. Sumitra Chaudhary,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 12, Issue No. 2, Jan 2017, Pages 1378 - 1381 (4)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

शिवप्रसाद सिंह ने सामाजिक व्यवस्था के विविध पक्षों को अपनी रचनाओं का विषय बनाया है। सामाजिक जीवन के विविध पहलुओं परिवार व्यवस्था, जाति प्रथा, नारी स्थिति, जमींदारों की स्थिति, दहेज, विवाह इत्यादि पर अपनी लेखनी चलाई है। डॉ. सिंह के कथा सृजन का मूल क्षेत्र ग्रामीण जीवन है। इन्होंने ग्रामीण जीवन की समस्त विदू्रपताओं को उनके नग्नयथार्थ रूप में उघाड़ने की निर्ममता की है वहीं दूसरी ओर भावी जीवन के प्रति इनके साहित्य में आस्था के संकेत भी मिलते हैं।

KEYWORD

शिवप्रसाद सिंह, साहित्य, समाज, पारिवारिक व्यवस्था, सामाजिक जीवन, ग्रामीण जीवन, विविध पहलुओं, लेखनी, ग्रामीण जीवन