कुबेरनाथ राय के साहित्य में राष्ट्रीयता

कुबेरनाथ राय के साहित्य में राष्ट्रीयता और भावनाएँ

by Sushma .*, Dr. Meenu .,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 12, Issue No. 2, Jan 2017, Pages 1531 - 1535 (5)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

राष्ट्रीय भावना विशिष्ट मानव समूह में पाई जाने वाली चेतना है, जिसके कारण वह समूह पारस्परिक ऐक्य की भावना से संयुक्त होकर अन्य किसी भी जनसमूह से अपनी पृथक् सत्ता की अनुभूति करता है। वास्तव में इस भावना का सम्बन्ध राष्ट्र से है। राष्ट्र के समक्ष व्यक्ति, दल, प्रान्त, जाति या, धर्म और सम्प्रदाय सब गौण हैं तथा इन सबकी रक्षा राष्ट्र की रक्षा है। जब इनमें संकीर्ण भावना पनपने लगती है तो राष्ट्र का अस्तित्व संकट में आ जाता है। अतः महत्त्वपूर्ण तत्त्व यह है कि सब एकजुट होकर भारत का भाग्य और सुदृढ़ बनाएँ।

KEYWORD

कुबेरनाथ राय, साहित्य, राष्ट्रीयता, राष्ट्र, भावना