उपनिषदों में योग, महाभारत एवं श्रीमद्भगवद्गीता में योग
Exploring the deeper meaning of Yoga in ancient scriptures
by Seema .*, Dr. Prakash Pandey,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 12, Issue No. 2, Jan 2017, Pages 1595 - 1599 (5)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
योग का विस्तृत स्वरूप उपनिषद् साहित्य में प्राप्त होता है। उपनिषद् काल में तप, उपवास, ब्रह्मचर्य पालन आदि क्रियाओं के द्वारा इन्द्रिय निग्रह पर बल दिया गया। परिणामस्वरूप पहले जो ‘योग’ (युज्-जोतना) शब्द घोडे़ के निग्रह के अर्थ में प्रयोग किया जाता था वह इन्द्रियनिग्रह के अर्थ में प्रयुक्त होने लगा।[1]
KEYWORD
उपनिषद्, योग, महाभारत, श्रीमद्भगवद्गीता, विस्तृत स्वरूप, इन्द्रिय निग्रह, ब्रह्मचर्य पालन, तप, उपवास, युज्-जोतना