मानस के प्रणेता तुलसी साहित्य का विश्लेषण

by Dr. Pradeep Kumar Singh*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 13, Issue No. 1, Apr 2017, Pages 1147 - 1150 (4)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

गोस्वामी तुलसीदास की काव्य प्रबंध योजना धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक आदि परिस्थितियों को स्पष्ट करने के प्रयोजन के रूप में वह अपनी जनचेतना को अभिव्यक्त करती है। तुलसी के सम्यक साहित्य के विषय में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल जी के अनुसार विश्लेषण करके बताया गया है कि ब्रह्म के सत्स्वरूप की अभिव्यक्ति और प्रकृति को लेकर गोस्वामी तुलसीदास की भक्ति पद्धति निरन्तर चली है। उनके राम पूर्ण धर्म स्वरूप राम ही है। “राम के लीला क्षेत्र के भीतर धर्म के विविध रूपों का प्रकाश उन्होनें देखा है। धर्म का प्रकाश अर्थात् ब्रह्म के सत्यरूप का प्रकाश इस रूपात्मक व्यक्त जगत के बीच होता है।”[1]

KEYWORD

मानस, तुलसी साहित्य, गोस्वामी तुलसीदास, धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, जनचेतना, अभिव्यक्ति, भक्ति पद्धति, राम