श्रीहर्ष कृत रचनाएँ एवं नाटकीय कथावस्तु (एक विश्लेषण)
Analysis of the Literary Works and Dramatic Material by Shriharsha
by Dr. Kumari Pramila*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 13, Issue No. 1, Apr 2017, Pages 1206 - 1210 (5)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
शास्त्रीय दृष्टि से संस्कृत नाट्य साहित्य में रत्नावली नाटिका अत्यंत सफल नाटिका मानी जाती है। रत्नावली नाटिका संस्कृत के प्रसिद्ध कवि श्रीहर्ष द्वारा रचित है। महाकवि बाण ने अपने हर्षचरित नामक काव्य में हर्ष की काव्य प्रतिभा का वर्णन किया है। हर्ष के दरबार में बाणभट्ट के अतिरिक्त मयूर तथा मातक आदि विद्वान इनकी राज्यसभा की शोभा बढ़ाते थे। श्रीहर्ष का जन्म सारस्वती नदी के किनारे कुरुक्षेत्र के निकट थानेश्वर में 490 ई॰ के लगभग हुआ था। इनके पिता महाराज प्रभाकरवर्धन तथा माता यशोमती थी। इनके अग्रज राज्यवर्धन तथा अनुजा राज्यश्री थी। हूणों का दमन करने हेतु प्रभाकरवर्धन ने अपने जयेष्ठ पुत्र राज्यवर्धन को भेजा साथ में श्रीहर्ष भी गये थे। पिता की बीमारी की सूचना पाकर हर्षवर्धन राजधानी वापस लौट आए। यहाँ 604 ई॰ में प्रभाकरवर्धन का स्वर्गवास हो गया।
KEYWORD
श्रीहर्ष, रचनाएँ, नाटकीय, कथावस्तु, रत्नावली, नाटिका, हर्षचरित, बाणभट्ट, महाकवि, कुरुक्षेत्र