समकालीन हिन्दी कहानीः सामाजिक एवं लोकतांत्रिक सरोकार
अध्ययन में समकालीन हिन्दी कहानीकारों द्वारा उठाए गए सामाजिक और लोकतांत्रिक सरोकार
by Dr. Rajendra Singh*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 13, Issue No. 1, Apr 2017, Pages 1252 - 1256 (5)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
हिन्दी गद्य की विभिन्न विधाओं में कहानी एक अत्यंत सशक्त एवं लोकप्रिय विधाओं में एक है बदले हुए परिवेश एवं समाज के साथ यह निरन्तर अपने को नये रूप में ढ़ालती रही है। स्वातंत्र्योत्तर दशकों में सामाजिक आर्थिक, राजनीतिक परिवर्तनों के मध्यनजर कहानी विधा में अनेकानेक आन्दोलन दृष्टिगत हुए यथा-नयी कहानी, सहज कहानी, समान्तर कहानी, सचेतन कहानी, जनवादी कहानी आदि-आदि। समकालीन कहानीकारों ने वर्तमान जटिल यथार्थ, पल-पल परिवर्तित होते परिवेश, बदलते हुए जीवन मूल्यों को विभिन्न कोणों से देखा, परखा और अपनी अनुभूति के धरातल पर उस नये स्वर को अभिव्यक्त करने का प्रयास किया। समकालीन कहानी जीवन के यथार्थ से सीधे टकराती है। वह जीवन के भोगे हुए सत्यों को ईमानदारी व प्रखरता के साथ अभिव्यक्त करती हुई आगे बढ़ती है। समकालीन कहानी में जो कुछ है, वह मनुष्य ही है, मनुष्य के इतर और कोई भेद नहीं। भूमण्डलीकरण एवं उदारीकरण के दौर ने बीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध एवं इक्कीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध के वर्षों के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक परिदृश्य को बहुत गहराई से प्रभावित किया है। पारिवारिक संबंधों का ताना-बाना बिखरने लगा है। संबंधों की धुरी केवल अर्थतंत्र में सीमित हो गई है। सारे मानवीय एवं आत्मीय रिश्ते अर्थाश्रित हो गए हैं। परम्परा एवं परिवेश से दूर मध्यम वर्ग मायावी दुनियां में दिग्भ्रमित है। आर्थिक मूल्यहीनता की जड़ में राजनीतिक मूल्यहीनता निहित है। भ्रष्टाचार, भाई भतीजावाद, जातिवाद, प्रांतवाद के आधार पर राजनीतिक नेतृत्व का व्यवहार हो गया है। नीचे से ऊपर रिश्वतखोरी का खेल चलने लगा है। धरती, धन शक्ति और प्रतिष्ठा तथाकथित वर्ग विशेष की स्थायी पूँजी बन रहा है। गरीबी, महामारी, कुपोषण, बेरोजगारी, सामाजिक अन्याय इत्यादि बुनियादी प्रश्नों से बड़े मंदिर-मस्जिद के मसले हो गए हैं। समकालीन कहानीकारों ने सामाजिक एवं लोकतांत्रिक सरोकारों के सवालों को बखूबी पकड़ा है और उसे अपनी कहानियों का कथ्य बनाया है। इन कहानियों का मानवीय बोध सकारात्मक चिंतन की पृष्ठभूमि बन सकता है।
KEYWORD
हिन्दी गद्य, कहानी, सामाजिक सरोकार, लोकतांत्रिकता, धर्मिक रिश्ते