मुगलकाल में सांस्कृतिक जीवन खान-पान, भवन एवं वेशभूषा

by Ravinder Kumar*, Dr. Bribal .,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 13, Issue No. 2, Jul 2017, Pages 374 - 376 (3)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

खान-पान एवं भोजन जीवन की उन मूलभूत आवश्यकताओं में से हैं। जिसमें संशोधन-परिवर्धन के प्रयास प्रत्येक युग में किए जाते रहे हैं। खान-पान, एवं भोजन व्यवस्था भी किसी युग के रहन-सहन, अथवा संस्कृति के स्तर का सूचक होता है। यूँ जहां प्रारम्भ में मानव ने कच्चे फल और कन्दमूल को खान-पान के रूप में उपयोग किया था परिस्थितियों में बदलाव के साथ-साथ कालान्तर में भोजन के प्रति दृष्टिकोण भी बदला और मानव का ध्यान इन आवश्यकताओं से बढ़ कर विलास और स्वादिष्ट व्यंजनों की तरफ गया और खान-पान में विभिन्न तरह के व्यंजनों का समावेश बढ़ता चला गया।

KEYWORD

मुगलकाल, सांस्कृतिक जीवन, खान-पान, भवन, वेशभूषा, आवश्यकताएं, संशोधन-परिवर्धन, रहन-सहन, बढ़ता चला, विभिन्न व्यंजन