भारत में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की भूमिका
भारत में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की भूमिका और संगठनित राजनीति
by Dr. Karamveer Singh*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 13, Issue No. 2, Jul 2017, Pages 835 - 839 (5)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शुरू से ही अपने आप को पूरे समाज का एक संगठन मानता रहा है। आजादी के बाद भी संघ की इस भूमिका में कोई अंतर नहीं आया। इसलिए, स्वतंत्रता के बाद 1949 में गठित संघ के संविधान में, यह भी स्पष्ट है कि यदि कोई स्वयंसेवक राजनीति में सक्रिय होना चाहता है, तो वह किसी भी राजनीतिक दल का सदस्य बन सकता है। यह संविधान भारतीय जनसंघ की स्थापना से पहले बनाया गया था। जनसंघ की स्थापना के बाद भी कई स्वयंसेवकों और प्रचारकों को देने के बाद भी इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में कई दलों का होना स्वाभाविक ही है। संघ के पूरे समाज का संगठन होने के नाते, यह भी स्वाभाविक है कि समाज का कोई भी क्षेत्र संघ से अछूता नहीं रहेगा और स्वयंसेवक समाज जीवन के हर क्षेत्र में अपनी राष्ट्रीय दृष्टि रखेगा। ऐसी स्थिति में, क्योंकि कुछ स्वयंसेवक राजनीति में सक्रिय हैं, इसलिए, संघ राजनीति करता है, या यह एक राजनीतिक पार्टी है, यह कहना अनुचित और गलत होगा। राजनीतिक दल समाज के केवल एक हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं और समाज के दूसरे हिस्से का भी।
KEYWORD
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, भूमिका, संगठन, स्वतंत्रता, राजनीति