जल प्रदूषण के दुष्प्रभाव एवं बचाव के उपायों का भौगोलिक अध्ययन
जल प्रदूषण: एक भौगोलिक अध्ययन
by Dr. Gayatri Yadav*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 13, Issue No. 2, Jul 2017, Pages 859 - 863 (5)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
पानी भी पर्यावरण का एक अभिन्न अंग है। मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। मानव स्वास्थ्य के लिए स्वच्छ जल नितांत आवश्यक है। पानी के अभाव में मनुष्य कुछ दिनों तक जीवित रह सकता है क्योंकि मानव शरीर का एक बड़ा हिस्सा पानी है। इसलिए, साफ पानी के अभाव में, एक प्राणी, एक सभ्यता के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। यह सब जानने के बावजूद, आज मानव हमारे जल स्रोतों में ऐसी चीजों के बारे में सोचे बिना पानी डाल रहा है, जिसके कारण पानी प्रदूषित हो रहा है। हमें नदी, तालाब, कुएं, झील आदि से पानी मिल रहा है। जनसंख्या वृद्धि, औद्योगिकीकरण आदि ने हमारे जल स्रोतों को प्रदूषित कर दिया है, जो इस बात का एक ज्वलंत प्रमाण है कि हमारी पवित्र पवित्र गंगा नदी जिसका पानी बहुत रखने के बाद भी साफ और स्वच्छ रखा गया था। वर्षों, लेकिन आज यह गंगा नदी कई नदियों और जल स्रोतों को प्रदूषित कर रही है या नहीं। अगर हम मानव सभ्यता को जल प्रदूषण के खतरों से बचाना चाहते हैं, तो इस प्राकृतिक संसाधन को प्रदूषित होने से रोकना नितांत आवश्यक है अन्यथा जल प्रदूषण से होने वाला खतरा मानव सभ्यता के लिए खतरा बन जाएगा।
KEYWORD
जल प्रदूषण, दुष्प्रभाव, बचाव, भौगोलिक अध्ययन, पानी