आयुर्वेद में प्राकृतिक चिकित्सा का महत्त्व

Exploring the Importance of Natural Healing in Ayurveda

by Dr. Kamlesh .*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 14, Issue No. 1, Oct 2017, Pages 251 - 253 (3)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

प्राकृतिक चिकित्सा विशुद्ध आयुर्वेद है। प्रकृति का जब से आविर्भाव हुआ, तभी से प्राकृतिक चिकित्सा का भी आविर्भाव हुआ। आकाश, वायु, अग्नि, जल एवं पृथ्वी पंचतत्व समन्वित प्रकृति का कारण महत्तत्व या ईश्वर है। अतः प्रकृति-प्रसूत प्राकृतिक चिकित्सा ईश्वरीय चिकित्सा सिद्ध है। प्राकृतिक चिकित्सेतर चिकित्सा पद्धतियाँ एलोपेथी, होमियोपेथी, वर्तमान आयुर्वेद, यूनानी, मिश्रानी आदि बाद की समय-समय पर प्राकृतिक चिकित्सा से ही निकली हैं पर इनमें से प्रत्येक का रूप आजकल इतना विकृत हो चुका है कि वह पहचान में नहीं आता है और विश्वास ही नहीं होता है कि ये सभी चिकित्सा विधियाँ कभी प्राकृतिक चिकित्सा माता के गर्भ में थी। ऐसा इसलिए हुआ कि मनुष्य ने अपनी अहंकार वृत्ति से वशीभूत होकर इन्हें वैज्ञानिक ढांचे में ढालने के प्रयास में इनकी असली रूपरेखा को ही मिटा दिया और इनकी शक्लें भोंडी बना दी। अतः ये चिकित्सा प्रणालियाँ अपूर्ण मानव मस्तिष्क की उपज या मनुष्यकृत होने के कारण मानवी चिकित्सा पद्धतियों में बदल गई और ईश्वरीय चिकित्सा या प्राकृतिक चिकित्सा से बिल्कुल भिन्न हो गई। या यों कहिए कि प्राकृतिक चिकित्सा के अलावा आजकल जितनी भी चिकित्सा प्रणालियाँ है, उनका स्रोत तो प्राकृतिक चिकित्सा निश्चय ही है, किन्तु वे उच्छश्रृंख्ल और स्वतंत्र हो गई है, पथ-भ्रष्ट हो गई है, विकृत रूप में है और विशुद्ध नहीं है। इंग्लैंड निवासी डाॅ॰ टी॰ उमर ने बताया की प्राकृतिक चिकित्सा ने जर्मनी में जन्म लेने के हजारों वर्ष पहले भारतवर्ष में जन्म ले लिया था। अतः उन्होंने आयुर्वेद में कहा कि आयुर्वेद शब्द का अर्थ है जीवन का तत्व ज्ञान और यही प्राकृतिक चिकित्सा का भी अर्थ है। आयुर्वेद को आयुर्विज्ञान कहना ठीक है, क्योंकि आयुर्वेद अथवा आयुर्विज्ञान से विज्ञान की उस शाखा का ज्ञान होता है, जिसका सम्बन्ध मनुष्य के जीवन-मरण से है। अर्थात् विज्ञान की वह शाखा जिसके द्वारा एक स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा हो, रोगग्रस्त व्यक्ति को मुक्ति मिले, असुरों के कष्टों का निवारण हो तथा मनुष्य की आयु लम्बी हो, आयुर्विज्ञान अथवा आयुर्वेद हैं।

KEYWORD

प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेद, प्राणि, चिकित्सा पद्धति, जीवन का तत्व