सूरकाव्य के पात्रों में विचारपरकता

दैवी सम्पदा और आसुरी सम्पदा के टकराव

by Pushpa Rani*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 14, Issue No. 1, Oct 2017, Pages 325 - 327 (3)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

सूर सागर में अनेक पात्रों का प्रसंग मिलता है। लगभग ये पात्र श्रीमद्भागवत् में भी मिलते है। सूर सागर में परम्परागत पात्रों और लोक पात्रों का भी समावेश हुआ है। मुख्यरूप से ये पात्र दो प्रकार की विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करते है। जैसा कि भगवत गीता में कहा गया है कि दो प्रकार की सम्पदाएं विद्यमान है। परस्पर दोनों की विचारधाराओं का भी टकराव होता है। एक दैवी सम्पदा दूसरी आसुरी सम्पदा है।

KEYWORD

सूरकाव्य, पात्रों, विचारपरकता, सूर सागर, श्रीमद्भागवत्