परम्परागत माध्यमों की संवाहक हरियाणवी बोली एवं संस्कृति
by Deepak Rathee*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 14, Issue No. 2, Jan 2018, Pages 40 - 46 (7)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
भारत में संचार माध्यमों का उद्भव प्राचीनकाल से ही है। महर्षि नारद मुनि अपने काल में सभी स्थानों का भ्रमण करके समाचार संग्रह कर उचित समय पर उसका प्रचार किया करते थे जिससे सम्बन्धित व्यक्ति आवश्यकतानुसार अपनी भूल सुधार सके या अपने कार्य को अच्छे ढंग से पूरा कर सके। नारद मुनि के कार्य भडकाऊ नहीं वरन् जनकल्याण की भावना से परिपूर्ण होते थे। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पाठ उनसे सीखा जा सकता है।
KEYWORD
परम्परागत माध्यम, हरियाणवी बोली, संस्कृति, संचार माध्यम, महर्षि नारद मुनि