भारतीय अर्थव्यवस्था का वर्तमान परिपेक्ष्य में समीक्षात्मक अध्ययन
by Dr. Arjun Singh Bhaghel*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 14, Issue No. 2, Jan 2018, Pages 261 - 264 (4)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
सामान्यता भारतीय अर्थव्यवस्था के सम्बन्ध में यह कहा जाता है - ‘‘भारत एक धनी देश है, किन्तु यहाॅ के निवासी निर्धन है।‘‘ वास्तव में यह कथन विरोधाभास की स्थिति को व्यक्त करता है। देश धनवान है किन्तु लोग गरीब है। यदि भारत की प्राकृतिक सम्पदा एवम् मानवीय साधनों पर विचार किया जाय तो यह कथन सही है कि भारत एक धनी देश है। प्राकृतिक साधनों की प्रचुरता के ही कारण भारत को ’सोने की चिड़िया’कहा जाता था। किन्तु यहाॅ के निवासियों के जीवन स्तर, कुपोषण, रूगणता, विपन्नता के कारण ही यह कहा जाता है कि यहाॅ के निवासी गरीब है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात आर्थिक विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत अनेक प्रयास किए गए है और इसका प्रभाव अर्थव्यवस्था में देखने को भी मिला रहा है। भारत ने अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में अनेक क्रांतिकारी परिवर्तन किए है। उदाहरण के लिए कृषि के क्षेत्र में हरित क्रांति को अपनाए जाने से देश में खाद्यान्न के क्षेत्र मे आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली है। उद्योग के क्षेत्र में आधारभूत एवं भारी उद्योगों की स्थापना की गयी है और भारत विश्व के 10 बड़े औद्योगिक राष्ट्रो के अन्तर्गत आता है। नियोजित अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत सार्वजनिक क्षेत्र का विस्तार हुआ है। बैंक, बीमा, कम्पनियों, दूरसंचार, डाकसेवा, यातायात के साधनों में तीव्र गति से वृद्धि हुई है। इससे प्रतिव्यक्ति आय, बचत, एवं निवेश की दरों में भी वृद्धि हुई है। इससे यह प्रतीत होता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर की गति धीमी है परन्तु सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सतत् प्रयासरत है। वर्तमान में सरकार ने देश के आर्थिक विकास को गति देने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास हेतु 34 लम्बित सड़क और कई रेल परियोजनाओं को फिर से चालू करने तथा कोल इण्डिया लिमिटेड में 10 प्रतिशत का निवेश एवं निर्यातकों को सस्ती पूॅजी उपलब्ध कराने हेतु प्रयासरत है।
KEYWORD
भारतीय अर्थव्यवस्था, समीक्षात्मक अध्ययन, धनी देश, निर्धन, प्राकृतिक सम्पदा, अर्थव्यवस्था के क्रांतिकारी परिवर्तन, बैंक, बीमा, कम्पनियां, दूरसंचार, डाकसेवा, यातायात, देश के आर्थिक विकास, लम्बित सड़क, रेल परियोजनाएं, कोल इंडिया लिमिटेड, निर्यातकों, सस्ती पूॅजी