नैतिक तथा सांस्कृतिक पर्यावरण संरक्षण में रामचरितमानस की भूमिका
The Role of Ramayana in Moral and Cultural Environmental Conservation
by Navita Rani*, Dr. Govind Dwivedi,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 14, Issue No. 2, Jan 2018, Pages 560 - 568 (9)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
हमारी संस्कृति में पर्यावरण का विशेष स्थान है। हमारी शिक्षा तथा संस्कार दोनों ही का प्रकृति के साथ गहन जुड़ाव है। धर्म जो कि हमारी संस्कृति की नीव है धर्म के बिना भारत वर्ष की कल्पना नहीं की जा सकती। धर्म सभी जीवों को एक दृष्टि से देखता है तथा प्रकृति को सजीव मानकर पूजता है। अन्य किसी धर्म में ऐसी उदारता शायद ही होगी। जहाँ पर चूहा, उल्लू, मोर, सिंह, बैल आदि को देवी देवताओं का वाहन स्वीकारा गया है। मत्स्य कच्छप, बराह वानर, गज, नृसिंह आदि को ईश्वर का अवतार माना जाता हैं एवं वृक्षों व अन्य पौधों की पूजा की जाती है। हमारे धार्मिक ग्रन्थों में पर्यावरण संरक्षण को अत्याधिक महत्ता दी गई है।
KEYWORD
नैतिक, सांस्कृतिक, पर्यावरण संरक्षण, रामचरितमानस, धर्म