प्रताप सहगल रचित नाटक कोई अंत में दाम्पत्य संबंधों में विघटन
Exploring the Responsibilities and Impact of Pratap Sahgal's Play on Marital Relationships and Societal Injustices
by Jai Bhagwan*, Dr. Parveen Kumar,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 14, Issue No. 2, Jan 2018, Pages 1330 - 1332 (3)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
नाटककार आज इस सत्यता को बड़ी ईमानदारी से स्वीकार करने लगे हैं कि सामान्य जन की दयनीय स्थिति और त्रासद नियति के लिए जिम्मेदार ताकतों के बहुरूपी चेहरों को बेनकाब करना और जनता में आत्मविश्वास और आक्रोश पैदा करके अन्याय और शोषण की शक्तियों के विरुद्ध लडऩे के लिए तैयार करना आज के सही, प्रासंगिक, सार्थक नाटक का ऐतिहासिक उत्तरदायित्व है। हमारा आज का नाटक और रंगमंच अपनी इस महत्त्वपूर्ण भूमिका और बुनियादी जिम्मेदारी से कतरा कर आगे नहीं बढ़ सकता।
KEYWORD
प्रताप सहगल, नाटक, दाम्पत्य संबंध, विघटन, जिम्मेदार ताकत