कमलेश्वर के कथा साहित्य में आर्थिक चेतना

The Economic Consciousness in the Literature of Kamleshwar

by Jaswinder Singh*, Dr. Praveen Kumar,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 14, Issue No. 2, Jan 2018, Pages 1451 - 1456 (6)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् जनसामान्य को विश्वास था कि देश का हर क्षेत्र में तीव्र गति से विकास होगा। परन्तु विभाजन की भीषण घटना ने व्यक्ति को इतना कमजोर बना दिया कि उसका घर-बार उजड़ गया, वह शरणार्थी बन गया और दुबारा बसने के लिए उसे विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ा। स्वतन्त्रता के पश्चात् मिश्रित अर्थ प्रणाली और राष्ट्रीय स्तर पर हुये नियोजन से समाज के आर्थिक जीवन में जबरदस्त परिवर्तन हुआ। सामाजिक व्यवहार, सामाजिक आदान-प्रदान और सम्बन्धों की अपेक्षाओं में भी बदलाव आया। इस परिवर्तन में आर्थिक तत्वों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। अर्थ के सन्दर्भ में वर्ग संघर्ष और द्वन्द्व ने सामाजिक जीवन में तनाव और बिखराव पैदा किया। संघर्ष और द्वन्द्व के दो छोर कहीं व्यवस्था और व्यक्ति, कहीं समाज और कहीं व्यक्ति और व्यक्ति होते हैं। जीवन में परिवर्तन के आर्थिक तत्व ने पारम्परिक जीवन मूल्यों को भी चुनौती दी, अतः पारिवारिक सामाजिक सम्बन्धों में द्वन्द्व उभरा और सम्बन्धों की स्थापित नैतिकता का विघटन आरम्भ हुआ। स्वतन्त्रता के पश्चात् गरीब और गरीब तथा अमीर और अमीर बनता गया।

KEYWORD

कमलेश्वर, कथा साहित्य, आर्थिक चेतना, स्वतन्त्रता प्राप्ति, विभाजन, समस्याएं, अर्थ प्रणाली, राष्ट्रीय स्तर, सामाजिक व्यवहार, परिवर्तन