भारत की संस्कृति-परम्परा और संगीत

Exploring the Essence of Indian Culture and Music

by Dr. Ila Malviya*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 14, Issue No. 2, Jan 2018, Pages 1807 - 1809 (3)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

संस्कृति शब्द की व्युत्पत्ति ‘सम्’ उपसर्ग पूर्वक कृ धातु से सुट् आगम तथा क्तिन् प्रत्यय से हुई है। जिसका अर्थ है भलीभाँति परिष्कृत किया हुआ। धर्म, साहित्य, मानवीय मूल्य एवं आदर्श इन सभी के संचय का नाम ही संस्कृति है। किसी देश की उन्नति-अवनति, उत्थान-पतन, आचार-विचार और जीवन पद्धति को जानने के लिए वहाँ की संस्कृति का ज्ञान आवश्यक है। संस्कृति की प्रक्रिया एक साथ ही आदर्श को वास्तविक एवं वास्तविकता को आदर्श बनाने की प्रक्रिया है। संस्कृति का क्षेत्र इतना अधिक व्यापक और गहन है कि उसे किसी निश्चित परिभाषा में बाँधना कठिन है। संस्कृति द्वारा उत्तम मानसिक एवं सामाजिक गुण प्रादुर्भूत होते हैं। संस्कृति का आधार मुख्यतः आचारों से है। ये आचार ही संस्कार के रूप में स्थित है।[1] संस्कार का अर्थ है परिष्कार और परिमार्जन की क्रिया। यही परिमार्जन, परिष्कार, और शुद्धि की क्रिया जब पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तान्तरित होती है तो संस्कृति बन जाती है। वास्तव में मनुष्य के चरित्र और आदतों का ही परिष्कार होता है जो निखरकर आदर्शो, सदाचार और मूल्यों के नाम से सम्बोधित होता है।

KEYWORD

संस्कृति, संगीत, परम्परा, धर्म, साहित्य, मानवीय मूल्य, आदर्श, जीवन पद्धति, आचार, संस्कार