शिवदान सिंह चौहान के आलोचना विवेचन में साहित्य का सौन्दर्य और सामाजिकता
by Rajesh Kumar*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 15, Issue No. 1, Apr 2018, Pages 167 - 170 (4)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
साहित्य की रचना संबंधी उद्देश्य को स्थूलतः तीन वर्गों में रखा जा सकता है- पहला आनंदवादी, दूसरा नैतिकतावादी और तीसरा यथार्थवादी या सौन्दर्यवादी। इस तरह कला के तीन उद्देश्य हुए- कला आनंदवादी दृष्टिकोण से सुख के लिए होती है, नैतिकतावादी दृष्टिकोण से सामाजिक सत्य एवं मानवीय मूल्यों की शिक्षा देने के लिए होती है और यथार्थवादी दृष्टिकोण से कला सौन्दर्य की अनुभूति के लिए होती है।
KEYWORD
शिवदान सिंह चौहान, आलोचना विवेचन, साहित्य, सौन्दर्य, सामाजिकता