रामकृष्णपरमहंसदिव्यचरितम् में खुदीराम का चरित्र एकविवेचन

खुदीराम का चरित्र का विवेचन

by संध्या .*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 15, Issue No. 1, Apr 2018, Pages 860 - 862 (3)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

साहित्य की रचना करने वाला साहित्यकार किसी भी कृति का निर्माण करते समय केवल कल्पना या तथ्यों का आश्रय नहीं लेता अपितु कहीं न कहीं उस कृति में उसके स्वयं के व्यक्तित्व का भी समावेश होता है अपने विचारों और भावों को प्रकट करने के लिए वह जिन स्तम्भों का आश्रय लेता है उसे पात्र कहा जाता है लेखक की कृति में कथानक के पश्चात् प्रमुख तत्त्व पात्र ही होता है

KEYWORD

रामकृष्णपरमहंसदिव्यचरितम्, खुदीराम, चरित्र, साहित्यकार, कल्पना, तथ्य, व्यक्तित्व, विचार, भाव, स्तम्भों