डॉ. अम्बेडर के स्मृतियों पर विचार

An Examination of Dr. Ambedkar's Thoughts on Memories

by Parveen Kumar*, Dr. S. N. Singh,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 15, Issue No. 1, Apr 2018, Pages 1339 - 1342 (5)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

स्मृतियों पर आधारित समाज चतुर्वण्र्य-व्यवस्था में बटा था। ब्राह्मण वर्ग उसे कहा गया जो सभ्यता एवं संस्कृति के आधार पर विद्या, धर्म और आचार को जीवन में धारण करने वाला समूह था ‘क्षत्रिय वर्ण’ समाज की रक्षा करने के लिए शस्त्र धारण करता था तथा ‘वैश्यवर्ण व्यापार, पशुपालन, कृषिकार्य आदि करता था। चतुर्थ वर्ण शुद्र वर्ण माना जाता था। जिसका कत्र्तव्य अपने से पहले तीनों वर्णों की सेवा करना एवं उनसे भरण-पोषण पाना है।[12] अम्बेडकर के अनुसार स्मृति साहित्य में हिन्दू धर्म के सामाजिक संगठन का विवरण दिया गया है। इसमें हिन्दुओं के रीति-रिवाज, संस्कारों का विवरण है। ‘मनुस्मृति’ जो मानव धर्मशास्त्र के नाम से प्रसिद्ध है। अन्य स्मृतियां मनुस्मृति की स्टीक पुनरावृति है। इसलिए हिन्दुओं के आचार-विचार और धार्मिक सकल्पनाओं के विषय में पर्याप्त अवधारणा के लिए मनुस्मृति का अध्ययन ही यथेष्ट है।[13]

KEYWORD

अम्बेडर, स्मृति, चतुर्वण्य-व्यवस्था, हिन्दू धर्म, मनुस्मृति, सामाजिक संगठन, रीति-रिवाज, संस्कार, आचार-विचार, धार्मिक सकल्पनाएं