कबीर की सामाजिक चेतना
The Social Consciousness of Kabir: A Pioneer in the Bhakti Movement and Social Reform
by Krishna Devi*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 15, Issue No. 3, May 2018, Pages 216 - 219 (4)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
संत कबीर निर्गुण मत के अनुयायी कवि है। भक्ति काल में निर्गुण भक्तों में कबीर को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। भारतभूमि जो अनेक रत्नों की खान रही है उन्हीं महान् रत्नों में से एक थे संत कबीर। कबीर का अरबी भाषा में अर्थ है - महान्। वे भक्त और कवि बाद में थे, पहले समाज सुधारक थे। वे सिकन्दर लोदी के समकालीन थे। कबीर की भाषा सधुक्कड़ी थी तथा उसी भाषा में कबीर ने समाज में व्याप्त अनेक रूढ़ियों का खुलकर विरोध किया है। हिन्दी साहित्य में कबीर के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। रामचन्द्र शुक्ल ने भी उनकी प्रतिभा मानते हुए लिखा है “प्रतिभा उनमें बड़ी प्रखर थी।”1
KEYWORD
कबीर, सामाजिक चेतना, निर्गुण मत, भक्ति काल, समाज सुधारक