महात्मा गौतम बुद्ध द्वारा प्रतिपादित बौद्धधर्म दर्शन के प्रमुख तत्व व सिद्धान्त

An Exploration of the Major Elements and Philosophy of the Buddhist Philosophy Presented by Mahatma Gautam Buddha

by Shveta Kumari*, Dr. Ramakant Sharma,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 15, Issue No. 3, May 2018, Pages 516 - 521 (6)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

ई.पू. छठी शताब्दी में धार्मिक कर्मकाण्डों, यज्ञवाद, बहुदेववाद के जाल एवं प्रवृतिवादी तथा दैवतवादी दृष्टिकोण से संत्रस्त जनमानस को मुक्ति दिलाकर सरल, निवृत्तिमार्गी तथा मध्य आध्यात्मिक पथ का चिन्न की ओर प्रवृत्त करने वाले थे। सिद्धार्थ जो पीछे महात्मा बुद्ध कहलाये। ई.पू. 563 में शाक्य गणराज्य की राजधानी कपिलवस्तु, उत्तर-प्रदेश के आज का सिद्धार्थनगर जनपद जो पहले बस्ती जिले का तिलौराकोट था, के निकट नेपाल की तराई में लुम्बिनी, आज का रूमिन देई, के वन में सिद्धार्थ ने जन्म ग्रहण किया। यहाँ पर अशोक का एक लघु स्तम्भ लेख मिला है जिसमें लिखा है ‘हिद बुद्धे जातेति’। इससे यहाँ बुद्ध के जन्म की पुष्टि होती है। बुद्ध के पिता का नाम शुद्धोदन तथा माता का नाम माया था। बौद्ध धर्म भारत का ही नहीं अपितु विश्व के मान्य सभी धर्मों में से एक है। बौद्ध धर्म की उत्पत्ति आकस्मिक नहीं बल्कि वैदिक युग से अब तक के पूँजीगत विश्वासों के सत्यान्वेषण का प्रतिफल था। यह धर्म ऐसे काल में अद्भूत हुआ जिसमें मनुष्य की जिज्ञासा युग पुरातन के संचित विश्वासों के आवरण को चीरकर प्रत्येक वस्तु की वास्तविकता को देखना चाहती थी। मनुष्य की उद्भूत तर्कशीलता एवं सत्योन्वेशी दृष्टि के समक्ष अन्धविश्वास की प्राचीनता काँप रही थी, कर्मकाण्ड की विशाल दीवारें जर्जरित हो रही थी और अन्धविश्वासों पर संरोपित पुरातन मान्यतायें अब मानव के सम्मुख निराश सी दिखायी देने लगी थी। ऐसे संक्रमण काल में महात्मा गौतम बुद्ध रूपी दिव्य ज्योति का आविर्भाव हुआ जिसने बौद्ध धर्म का सूत्रपात्र कर भारत में एक नवीन धार्मिक जागृति का सृजन किया। बौद्धधर्म दर्शन के प्रमुख तत्वों एवं सिद्धान्तों को दृष्टिगत रखते हुए बौद्धधर्म को भली-भांति समझा जा सकता है।

KEYWORD

महात्मा गौतम बुद्ध, बौद्धधर्म, धार्मिक कर्मकाण्ड, प्रवृतिवादी, मध्य आध्यात्मिक पथ