शीतयुद्ध के बाद भारत-अमेरिकी संबंध
The Implications of Post-Cold War India-US Relations on Global Order and Development
by Sonu .*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 15, Issue No. 5, Jul 2018, Pages 165 - 166 (2)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
शीतयुद्ध के अन्त, सोवियत संघ के बिखराव और खाड़ी युद्ध में संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में संयुक्त बल की विजय ने सम्पूर्ण विश्व को नई विश्व व्यवस्था की और ढ़केल दिया है। भारत और अमेरिकी सम्बन्धों में शीतयुद्ध के अन्त के साथ युगान्तकारी परिवर्तन परिलक्षित हो रहे हैं। शीतयुद्ध के अन्त के साथ अब दोनों देश एक-दूसरे से ईमानदारी से भूतकाल की संदेहपरक दृष्टि को त्यागकर खुलकर अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दों पर बात कर सकते हैं। अमेरिका का सामरिक, महत्व कम हुआ है। प्रथम बार, अमेरिका दक्षिण एशिया के राष्ट्रों से सीधे संवाद बनाने की स्थिति में है। आर्थिक रूप में, साम्यवादी व्यवस्था के असफल होने के साथ भारत सरकार के समान विश्व के अन्य देश भी बाजारोन्मुख आर्थिक सुधारों की ओर उन्मुख हुए है। जोकि अमेरिका की इच्छा है शीतयुद्ध के बाद जो नई विश्व व्यवस्था की तस्वीर उभरकर सामने आ रही है उसकी कतिपय विशेषताओं में भूमण्डलीकरण, उदारीकरण, बाजारोन्मुख अर्थव्यवस्था, सूचना प्रौद्योगिकी, एक धु्रवीय विश्व व्यवस्था की पुर्नरचना हो रही है। ऐसे में भारत अमेरिकी संबंधों में उपरोक्त कतिपय नई विश्व व्यवस्था को विशेषताओं के प्रकाश में नये मुद्दे मानवीय, आर्थिक, सामाजिक, और पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है। ये मुख्यतया सतत विकास से जुड़े हुए हैं।1
KEYWORD
शीतयुद्ध, भारत-अमेरिकी संबंध, संयुक्त राज्य अमेरिका, विश्व व्यवस्था, भूमण्डलीकरण, उदारीकरण, बाजारोन्मुख अर्थव्यवस्था, सूचना प्रौद्योगिकी, मानवीय दृष्टि, सतत विकास