राजेंद्र यादव के उपन्यास
Exploration of the struggles and aspirations of a middle-class individual
by Shashikant Kumar*, Dr. Ujlesh Agarwal,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 15, Issue No. 5, Jul 2018, Pages 683 - 688 (6)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
यह उस मध्यवर्गीय साधारण व्यक्ति की तस्वीर है जो अपनी अतृप्त लालसाओं और कुछ बनने की महत्त्वाकांक्षाओं के कारण परिस्थितियों से टकराता है, किन्तु उनका चक्रब्यूह तोड़ नहीं पाता है। अपने आदर्शों एवं मूल्यों के साथ समझौता करके मजबूरन विवश-स्थिति को जीने के अलावा उसके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है। वस्तुतः उन्होंने जीवन के बाह्य स्वरूप के अवलोकन मात्र के आधार पर ही नहीं, अपितु उसकी गहराई में पैठ कर भोगे हुए यथार्थ अनुभव के आधार पर अपने उपन्यासों का सृजन किया है। यही कारण है कि उनके उपन्यासों में चित्रित पात्र एवं घटनायें जीवंत और हमारे आस-पास के प्रतीत होते हैं। उनके उपन्यास मध्यवर्गीय व्यक्ति के दुःख-दर्द, संघर्ष-पराजय, घुटन-कुण्ठा, विवशता-परवशता, आकांक्षा-आशंका पूर्ण जीवन के अंधकारमय वर्तमान तथा आशाहीन भविष्य के मूल कारणों की खोज करते हुए तत्कालीन व्यवस्था की विसंगतियों तथा विडम्बनाओं को उद्घाटित करने के साथ-साथ उसके लिये जिम्मेदार शक्तियों के विरूद्ध खड़े होकर निरन्तर संघर्ष करने की भी प्रेरणा देते हैं।
KEYWORD
राजेंद्र यादव, उपन्यास, मध्यवर्गीय साधारण व्यक्ति, अतृप्त लालसाओं, कुछ बनने की महत्त्वाकांक्षाओं, चक्रब्यूह, आदर्शों एवं मूल्यों, विवश-स्थिति, जीवन के बाह्य स्वरूप, जीवंत और हमारे आस-पास, दुःख-दर्द, संघर्ष-पराजय, विवशता-परवशता, आकांक्षा-आशंका, तत्कालीन व्यवस्था, विसंगतियों, विडम्बनाओं, जिम्मेदार शक्तियों, संघर्ष