हरिशंकर आदेश की सप्तशतियों में सौन्दर्य-निरुपण

विश्व के मशहूर कवियों के काव्यों में सौंदर्य का निरूपण

by Updesh Devi*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 15, Issue No. 6, Aug 2018, Pages 313 - 316 (4)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

काव्य एवं सौन्दर्य का चोली दामन का अन्योन्याश्रम संबंध है। रमणीयार्थ प्रतिपादन शब्द काव्यम अर्थात रमणीय या सुंदर अर्थों का प्रतिपदन करने वाला शब्द ही काव्य है। सौन्दर्य विहीन काव्य काव्य नहीं है। विश्व का सौन्दर्य, बाल्मीकि, कालिदास, कबीरदास, तुलसीदास एवं जय शंकर प्रसाद के काव्यों में दृष्टिगोचर होता है। प्रकृति सौन्दर्य मानव सौन्दर्य, दिव्य सौन्दर्य एवं भाषा सौन्दर्य आदि काव्य में ही विद्यमान होता है।

KEYWORD

हरिशंकर आदेश, सप्तशतियों, सौन्दर्य-निरुपण, काव्य, रमणीयार्थ, शब्द, काव्यम, रमणीय, सौंदर्य, विश्व