मिटको की भूमिका

निर्यात व्यापार को संगठित करने की भूमिका और मिटको का योगदान

by Dr. Ranjan Kumar*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 15, Issue No. 6, Aug 2018, Pages 552 - 560 (9)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के अधीन स्थापित माइका ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन ऑफ़ इण्डिया लिमिटेड (मिटको) खनिज एवं धातु प्रशिक्षण निगम (मिनरल एण्ड मेटलस ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन) का एक सहायक संगठन था। संसाधित अभ्रक के निर्यात के लिए मिटको को कुछ सामाजिक-आर्थिक लक्ष्य भी थे जैसे - देश के अन्दर अभ्रक आधारित वस्तुओं एवं सभी प्रकार के अभ्रक के संसाधन, निर्माण एवं गठन को संगठित करना एवं अपने अधीन लेना, अभ्रक श्रमिकों को सही एवं उचित मजदूरी भुगतान करना, निर्यात से इकाई मूल्य प्राप्ति को बढ़ावा देना, निर्यात व्यापार में छोटे अभ्रक मालिकों एवं डीलरों की भागीदारी को बढ़ावा देना, संसाधित अभ्रक से लेकर निर्मित अभ्रक तक निर्यात में प्रगतिशील परिवर्तन को प्राप्त करना और छोटे डीलरों से अभ्रक खरीदने पर बल देना तथा उन्हें सही एवं उचित भुगतान दिलाना तथा व्यापार में होने वाले मौसमी उतार-चढ़ाव से सुरक्षा प्रदान करने के लिए खरीददारी की एक अन्य योजना चलाना। मिटको की स्थापना के एक महत्त्वूपर्ण उद्देश्य निर्यात व्यापार को संगठित करना, तथा गढ़े हुए एवं निर्मित अभ्रक के निर्यात को तेजी प्रदान करना था। इसी कारण मिटको की कार्यप्रणाली को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जाता है- कमजोर वर्गो से अभ्रक उत्पादों को खरीदना, तात्कालिक निर्यातकों के उत्पादकों को सूचीबद्ध करना, मिटको द्वारा संचालित इकाई में विभागीय उत्पादन। मिटको की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य निर्यात व्यापार को संगठित करना और अभ्रक के निर्यात को तेजी प्रदान करना था। अतः इस दिशा में मिटको ने अनेक सराहनीय कार्य किये।मिटको न केवल अभ्रक व्यापार के विकास के लिए कार्य किया, बल्कि अभ्रक व्यापार के कमजोर वर्ग को सहायता प्रदान किया। समय-समय पर मिटको पर अनेक आरोप भी लगे। ’झारखण्ड के अभ्रक उद्योग से जुड़े एक वर्ग अभ्रक उद्योग में आए संकट के लिए मिटको को ही दोषी मानता है। समाचार पत्रों में भी मिटको के खिलाफ ओक आरोप लगे। उदाहरण के लिए- गिरिडीह-हजारीबाग की अधिकांश अभ्रक खाने बंद होने के बावजूद भी अभ्रक उद्योग में आए वर्तमान संकट के लिए मिटको पर ही आरोप लगाया। बिहार विधान परिषद के तत्कालीन सदस्य श्री एस0एन0 शर्मा ने भी अभ्रक खानों के बंद होने में मिटको की गलत नीतियों को जिम्मेवार ठहराया है।

KEYWORD

मिटको, भूमिका, वाणिज्य मंत्रालय, अभ्रक, निर्यात व्यापार