स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कविता में साध्य और साधन
The Ethical and Spiritual Aspects in Hindi Poetry of Swatantryottar
by Veemmi Rani*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 15, Issue No. 6, Aug 2018, Pages 561 - 564 (4)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
गांधी जी नीति के प्रवकता और समाज के उद्धारक माने जाते हैं। नैतिकता उनका जीवन था और वे स्वयं धर्मपरायण थे। इसीलिये उनकी समाज नीति या राजनीति भी नैतिकता और आध्यात्मिकता पर आधृत थी। गांधी मनु और याज्ञवल्य की भाँति स्मृतिकार तथा महात्मा बुद्ध और ईसा की तरह पैगम्बर थे, जिन्होंने कत्र्तव्य और अकत्र्तव्य, धर्म और अर्धम के सम्बन्ध में अज्ञानी और दिग्भ्रान्त मानव को एक नई रोशनी प्रदान की, इसीलिये गांधी को युग पुरूष[1] माना जाता है।
KEYWORD
स्वातंत्र्योत्तर, हिन्दी कविता, साध्य, साधन, गांधी जी, नैतिकता, आध्यात्मिकता, मनु, याज्ञवल्य, महात्मा बुद्ध