पंडित लखमीचन्द: सामाजिक तथा व्यक्तिगत जीवन
भोली-भाली ग्रामीण जनता में पंडित लखमीचन्द का गायन: एक समाजशास्त्रीय अध्ययन
by Updesh Devi*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 15, Issue No. 7, Sep 2018, Pages 249 - 251 (3)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
पंडित लखमीचन्द अपने समय के हरियाणा के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं बहुचर्चित व्यक्ति थे। उनका नाम हरियाणा के लोकमानस में इस कदर रस-बस गया था कि आज भी ग्रामीण भाईयों को उनके द्वारा रचित भजन एवं रागनियाँ स्मरण हैं। हरियाणा के लोग खेतों, खलिहानों, चैपालों मेलों और अनेक सामाजिक पर्वो एवं तीज त्यौहारों के अवसर पर इन रागनियों और भजनों को गा-बजाकर अपार आनंद की अनुभूति करते हैं। भोली-भाली ग्रामीण जनता यह सोच भी नहीं सकती कि लखमीचन्द के इन रसिक एवं ज्ञान से ओत-प्रोत भजनों व रागनियों का कोई अन्य विकल्प भी हो सकता है। पंडित जी की किसी भी रागनी का सुमधुर आलाप उनके हृदय को रसप्लावित कर देता है। हरियाणा की जनता उन्हें सुनकर झूम उठती है।
KEYWORD
पंडित लखमीचन्द, सामाजिक, व्यक्तिगत जीवन, रागनियाँ, भजन