मध्यकालीन भारत में राजनिति और सामजिक संरचना

by Pranaw Kumar*, Dr. Dewan Nazrul Quadir,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 15, Issue No. 7, Sep 2018, Pages 584 - 588 (5)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

पूर्व मध्यकाल भारतीय राजनीतिक स्तर पर सामंतवाद प्रमुखरूप से राजनीतिक विकेन्द्रीकरण का द्योतक है। यही सामंतवाद एक विशिष्ट प्रकार के ‘सामाजिक संरचना’ और आर्थिक व्यवस्था से भी सम्बन्धित है। सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्रों में परिवर्तन की प्रकिया यूरोपीय एवं भारतीय दोनों सामन्ती पद्धतियों में मिलती थी किन्तु दोनों विधाओं में पूर्ण समानता नहीं मिलती है। उपर्युक्त पृष्ठभूमि में यह प्रतिपादित करने का प्रयास किया गया है कि पूर्व मध्यकाल में काल एक ऐसे सामाजिक संरचना का प्रतिनिधित्व करता है जो पूर्ववर्ती सामाजिक संरचना से भिन्न है। यह दृष्टिकोण सामाजिक परिवर्तन का विश्लेषण यूरोपीय इतिहास से प्राप्त ढांचे के अन्तर्गत राज्य और अर्थव्यवस्था को समाहित करता है। इस व्यापक ढांचे में अनेक समानताओं के साथ विभिन्नताओं भी हैं किन्तु ये विभिन्नतायें व्यक्तिगत इतिहासकारों के परिवर्तन सम्बन्धी विवेचनों के पद्धतियों पर निर्भर करती हैं। प्रस्तुत शोध प्रबन्ध को छ अध्यायों में विभाजित किया गया है कुछ क्षेत्रों में ग्राम सभायें अब भी थी परन्तु उनकी अधिकांश शक्ति का लोप हो चुका था। सामन्तों के ग्रामों में वे धीरे-धीरे समाप्त हो गई थी किन्तु प्रत्यक्ष शासित ग्रामों में वे प्रशासन में सहायता देती थी।

KEYWORD

मध्यकालीन भारत, राजनिति, सामजिक संरचना, सामंतवाद, आर्थिक व्यवस्था, परिवर्तन, यूरोपीय इतिहास, पद्धतियों, ग्राम सभाएं, सामान्यता