अंतर्जातीय विवाह के प्रति नवीन दृष्टिकोण

by Savita .*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 15, Issue No. 11, Nov 2018, Pages 417 - 422 (6)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

आधुनिक भारत में अन्तर्जातीय विवाहों में सहायक कारक प्रेम-विवाह भी आधुनिक वैवाहिक चुनौती है। इस चुनौती ने भी विवाह की संस्था की नीवों को प्रभावित किया है। चाहे इसका उदय पाश्चात्य संस्कृति के प्रभावों से हुआ हो, पर इतना अवश्य है कि वर्तमान युग में इस संबंध में भी समाज-शास्त्रियों का ध्यान आकर्षित हुआ है। प्रेम-विवाह वे विवाह होते हैं जो केवल वर-वधु के रोमॉस पर अधारित हैं। इनमें प्रेम प्रधान होता है। इस प्रकार के विवाह में वयस्क युवक और युवती अपने हार्दिक संवेगों के आधार पर हमेशा के लिये प्रणय-पाश-बद्ध होकर समाज में वैवाहिक कुरीतियों को चुनौती देने का दावा करते हैं। प्रेम विवाह को आदर्श विवाह कहकर सभी वैवाहिक समस्याओं को समाधान के रूप में मानते हैं। इस प्रकार के विवाहों को भी आज कानूनी शक्ति प्राप्त हो रही है। इन विवाहों में सामाजिक बन्धनों का लेशमात्र भी ध्यान नहीं रखा जाता है। इनमें जाति, वर्ग, कुल, दहेज, बाल विवाह आदि से ऊपर उठकर पारस्परिक सामंजस्य को विशेष महत्व दिया गया हैं

KEYWORD

अंतर्जातीय विवाह, नवीन दृष्टिकोण, प्रेम-विवाह, वैवाहिक चुनौती, समाज-शास्त्रियों, आदर्श विवाह, कानूनी शक्ति, सामाजिक बन्धन, पारस्परिक सामंजस्य