भारतीय धर्म और दर्शन में गाँधी जी के आर्थिक विचार
गांधी जी के आर्थिक विचार और भारतीय धर्म और दर्शन
by Karamvir Singh*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 15, Issue No. 12, Dec 2018, Pages 360 - 363 (4)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
गांधी जी ने आर्थिक अवधारणा का वर्णन करते हुए सार्वजनिक रूप से घोषित किया कि ‘‘यह अवधारणा धर्म और दर्शन से बन्धी हुई है। भारतीय धर्म और दर्शन में संरक्षकता के विचार माना गया है। प्राचीन भारतीय राजा वास्तविक रूप से गरीबों की आर्थिक रूप से सहायता करते थे। राजा रामचन्द्र दयालुता की एक मिशाल थे। उनके रामराज्य में सभी समान थे। सभी के लिए यह मूल्यावान और जरूरी था। बल्कि राम जब जवान थे तब उनके पिता जी ने दानवों को दण्ड देने के लिए भेजा गया। जो देवताओं और महात्माओं को परेशान कर रहे थे। तब राम ने दानव को मारकर उन सब की रक्षा की थी।
KEYWORD
भारतीय धर्म, दर्शन, गांधी जी, आर्थिक विचार, संरक्षकता, गरीबों की सहायता, राजा रामचन्द्र, रामराज्य, दानवों की रक्षा