सूर-काव्य में निहित वात्सल्य वर्णन

भक्ति और वात्सल्य के प्रतीक: सूरदास की काव्य रचना में एक अध्ययन

by Suman .*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 15, Issue No. 12, Dec 2018, Pages 406 - 410 (5)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

सूरदास जी वात्सल्यरस के सम्राट माने गए हैं। उन्होंने श्रृंगार और शान्त रसो का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है। बालकृष्ण की लीलाओं को उन्होंने अन्तःचक्षुओं से इतने सुन्दर, मोहक, यथार्थ एवं व्यापक रुप में देखा था, जितना कोई आँख वाला भी नहीं देख सकता। वात्सल्य का वर्णन करते हुए वे इतने अधिक भाव-विभोर हो उठते हैं कि संसार का कोई आकर्षण फिर उनके लिए शेष नहीं रह जाता।

KEYWORD

सूर-काव्य, निहित, वात्सल्य, वर्णन, सूरदास