भारत के संसदीय चुनाव में चुनाव खर्च की उभरती प्रवृतियाँ
भारत के संसदीय चुनाव में चुनाव खर्च की उभरती प्रवृतियाँ: एक व्यवसाय का अध्ययन
by Dr. Lal Kumar Sah*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 15, Issue No. 12, Dec 2018, Pages 555 - 557 (3)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
भारतीय लोकतंत्र विश्व का सबसे बड़ा प्रजातांत्रिक ढ़ाँचा है। आजादी के बाद अब तक हुए संसदीय चुनावों ने देश की जनता को प्रौढ़ बना दिया है। समय-समय पर होने वाली चुनावों में यहाँ के मतदाताओं ने अपनी सक्रिय भागीदारी देकर यह साबित कर दिया है कि यहाँ के मतदाता सामान्यतः सोंच-विचार कर ही मताधिकार का प्रयोग करते है। किंतु दुर्भाग्यवश लोकतंत्र का यह महान पर्व आज अर्थतंत्र द्वारा बुरी तरह प्रभावित है। चुनाव में, खासकर संसदीय चुनाव में एक साधारण व्यक्ति को अपनी उम्मीदवारी देना उसकी वश की बात नहीं रह गयी है। पैसे का जिस प्रकार नंगा प्रदर्शन होता है उसमे साधारण व्यक्ति का टिक पाना कठिन है। चुनाव में जीतना कम समय में धन कमाने का सर्वश्रेष्ठ व्यवसाय बन गया है। हर चुनाव के बाद आपराधिक पृष्ठभूमि के सांसदों और विधायकों की संख्या बढ़ती जा रही है।1 पार्टिया पुनः सत्ता में आने के लिए ऐसे लोगों को टिकट देती है, जो सत्ता-लालसा में कुछ भी करने को तैयार होते है।
KEYWORD
संसदीय चुनाव, चुनाव खर्च, मतदाता, व्यवसाय, सांसद