भारत में नारी मुक्ति संघर्ष का संक्षिप्त इतिहास
भारत में स्त्रियों की स्वतंत्रता का इतिहास
by Dr. Kamal .*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 15, Issue No. 12, Dec 2018, Pages 589 - 592 (4)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
भारतीय प्राचीनतम संस्कृति में नारी को अत्यन्त सम्मानित स्थान प्राप्त है। भारत का नारी मुक्ति संघर्ष, पश्चिम के नारी संघर्ष से भिन्न है। पश्चिमी देशों में ‘प्रबोधन काल’ के सामाजिक वातावरण ने स्त्रियों के बीच नई चेतना का संचार कर दिया था तथा लोकक्रान्तियों के अन्तर्गत स्त्री समुदाय ने भी अपने सामाजिक राजनीतिक अधिकारों के लिए संघर्ष आरम्भ कर दिया था। भारत सहित अन्य औपनिवेशिक संरचना वाले समाजों में नारी मुक्ति की घटना कुछ अन्य प्रकार से घटित हुई। 19वीं शती के उत्तरार्द्ध में जो राष्ट्रीय जनवादी, लोकजागरण हुआ, उसी की एक अभिव्यक्ति और प्रतिफलन के रूप में, पितृसत्ता, निरंकुश मध्ययुगीन सामन्ती उत्पीडन के विरूद्ध नई स्त्री मुक्ति चेतना का संचार हुआ। 19वीं शती के उत्तरार्द्ध में उच्च मध्यवर्गीय शिक्षित वर्ग की स्त्रियों में और 20वीं शती के आरम्भ में विशेष रूप में से स्वदेशी आन्दोलन के दौरान आम मध्यवर्ग की स्त्रियों में भी एक नई राष्ट्र मुक्ति की चेतना के साथ-साथ अपने सामाजिक अधिकारों की भावना पनपने लगी। 19वीं शती के अन्तिम दो दशकों मे स्त्रियों के नेतृत्व में स्त्री अधिकार, आन्दोलन, सामाजिक आन्दोलनों का रूप लेने लगे। पण्डिता बाई आदि ने विभिन्न स्त्री कल्याणकारी संस्थाओं की स्थापना की।
KEYWORD
नारी मुक्ति संघर्ष, भारत, स्त्री समुदाय, नारी मुक्ति, स्त्री कल्याणकारी संस्थाओं