कार्य स्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के विरुद्ध संरक्षण प्रदान करने में न्यायपालिका की भूमिका: महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 पारित होने से पूर्व

महिलाओं के यौन उत्पीड़न के खिलाफ न्यायपालिका की भूमिका: महिलाओं का यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013 परिपूर्णता तक

by Rohitas Meena*,

- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540

Volume 15, Issue No. 12, Dec 2018, Pages 887 - 891 (5)

Published by: Ignited Minds Journals


ABSTRACT

न्यायपालिका लोकतात्रिक सरकार का तीसरा अंग माना जाता है। जो न केवल लोगों के मौलिक अधिकारों की है। अपितु सामाजिक क्रांति के संरक्षक भी कहा जाता है। यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सामाजिक नियंत्रण के मध्य विभाजन करने के साथ यह देश के सामान्य कानून का उच्चतम और अंतिम व्याख्याकार भी है। महिलाओं के अधिकार व सम्मान में न्यायपालिका की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही है।

KEYWORD

महिलाओं के यौन उत्पीड़न, भूमिका, न्यायपालिका, महिलाओं का यौन उत्पीड़न अधिनियम, रोकथाम, निषेध, निवारण, लोकतात्रिक सरकार, सामाजिक क्रांति, व्याख्याकार