कबीर समाज सुधारक के रूप में
A Visionary Sant Poet Transforming Society
by Pooja .*,
- Published in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education, E-ISSN: 2230-7540
Volume 16, Issue No. 1, Jan 2019, Pages 690 - 693 (4)
Published by: Ignited Minds Journals
ABSTRACT
समाजसुधारक के रूप विख्यात संत काव्यधारा के प्रमुख कवि कबीर का नाम हिन्दी साहित्य में बडे़ आदर के साथ लिया जाता है। कबीर समाज सुधारक पहले तथा कवि बाद में है। उन्होने समाज में व्याप्त रूढ़ियों तथा अन्धविश्वासों पर करारा व्यंग्य किया है। उन्होने धर्म का सम्बन्ध सत्य से जोड़कर समाज में व्याप्त रूढ़िवादी परम्परा का खण्डन किया है। कबीर ने मानव जाति को सर्वश्रैष्ठ बताया है तथा कहा है कि इसमें से कोई भी ऊंचा या नीचा नहीं है। एक महान क्रान्तिकारी होने के कारण उन्होने समाज में व्याप्त अनेक कुरूतीयों व बुराईयों को दूर करने का प्रयास किया है। कबीर ने मानव जाति को एक अच्छा सन्देश दिया है। हमें उनके सन्देश को अपने जीवन में उतारना चाहिए।
KEYWORD
कबीर समाज सुधारक, संत काव्यधारा, हिन्दी साहित्य, रूढ़िवादी परम्परा, महान क्रान्तिकारी, सन्देश