ममता कालिया के उपन्यासों में स्त्री जीवन का चित्रण

Authors

  • भावना चितलांगिया शोधार्थी, ज्योति विद्यापीठ महिला विश्वविद्यालय, जयपुर, राजस्थान
  • डॉ. निरुपमा हर्षवर्धन शोध निर्देषक, ज्योति विद्यापीठ महिला विश्वविद्यालय, जयपुर, राजस्थान

DOI:

https://doi.org/10.29070/6hkdws59

Keywords:

उपन्यास, स्त्री, जीवन, चित्रण

Abstract

ममता कालिया के उपन्यासों में स्त्री जीवन का चित्रण नारी को शक्ति का प्रतीक मानते हुए भी किया है जहाँ वह समस्त दुःखों का शरण करते हुए भी सदैव कर्तव्य निष्ठ तथा कर्म प्रधान रहती है। नारी अपनी मेहनत और मेधा शक्ति के बल पर उन्होंने हर क्षेत्र में अपना नाम रोषन किया है। षिक्षा के कारण आज उनके लिए अर्थोपार्जन के नये-नये द्वार खुले है। हिन्दी साहित्य में ममता कालिया का नाम महिला लेखन के क्षेत्र में प्रमुखता से लिया जाता है। महिला की जीवनगत परिस्थितियों को अत्यन्त संवेदनषीलता के साथ सूक्ष्मतापूर्वक उद्घाटित करने वाली महिला कथाकारों में ममता कालिया का नाम सबसे पहले आता है। जीवन के यथार्थ की अद्भुत विष्लेषण क्षमता ममता जी का वैषिष्ट्य है। ममता जी के उपन्यास साहित्य में युगों-युगों से पीड़ित, शोषित, प्रताडित, उपेक्षित, रूढियों के बंधन में बंधी रहने वाली नायिका का यथार्थ व सजीव अनुभूतिपरक विद्यमान है। ममता कालिया जी ने स्त्री के जीवन को स्वार्थ से परें, कर्म पर प्रधान तथा भावनाओं से लिप्त मानते हुए उसे त्याग की विषिष्टता से वर्णित किया है।

References

(1) ममता कालिया - बेघर (भूमिका से पृ0 11 तक की संदर्भित बिन्दू)

(2) ममता कालिया - प्रेम कहानी (पृ. 17)

(3) ममता कालिया - एक पत्नी के नोट्स (पृ. 38)

(4) दुक्खम-सुक्खम - ममता कालिया (पृ. 51-66)

(5) ममता कालिया - लड़कियाँ (पृ. 79)

(6) मृदुला गर्ग व्यक्तित्व और कृतित्व, सं दिनेष द्विवेदी, (पृ. 1)

(7) चुकते नहीं सवाल, मृदुला गर्ग, (पृ. 42)

(8) कितनी कैदें, संगति-विसंगति, मृदुला गर्ग, (पृ. 46)

(9) हरी बिंदी, संगति-विसंगति, मृदुला गर्ग, (पृ. 8)

(10) निरंतर और स्तरीय कहानी लेखन, महेष दर्पण, मृदुला गर्ग व्यक्तित्व एवं कृतित्व, सं: दिनेष द्विवेदी, (पृ. 281)

(11) दो एक फूल (टुकड़ा टुकड़ा आदमी), मृदुला गर्ग, (पृ. 65)

(12) वही

(13) टुकड़ा टुकड़ा आदमी (पृ. 23)

(14) तुक, (ग्लेषियर से) मृदुला गर्ग, (पृ. 55)

(15) एक चीख का इंतजार, (ग्लेषियर से) मृदुला गर्ग, (पृ. 162)

(16) बड़ा सेब - काला सेब, (समागम) मृदुला गर्ग, (पृ. 87)

(17) बीच का मौसम, (समागम) मृदुला गर्ग, (पृ. 109)

(18) अवकाष, टुकड़ा टुकड़ा आदमी, मृदुला गर्ग, (पृ. 43)

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Published

2024-03-01

How to Cite

[1]
“ममता कालिया के उपन्यासों में स्त्री जीवन का चित्रण”, JASRAE, vol. 21, no. 2, pp. 35–36, Mar. 2024, doi: 10.29070/6hkdws59.

How to Cite

[1]
“ममता कालिया के उपन्यासों में स्त्री जीवन का चित्रण”, JASRAE, vol. 21, no. 2, pp. 35–36, Mar. 2024, doi: 10.29070/6hkdws59.