अमृता प्रीतम के उपन्यासों में नारी विमार्श

Authors

  • Shalu Parik Research Scholar, Jyoti Vidyapeeth Mahila Vishwavidyalaya, Jaipur, Rajasthan
  • Dr. Rajbala Research Guide, Jyoti Vidyapeeth Mahila Vishwavidyalaya, Jaipur, Rajasthan

DOI:

https://doi.org/10.29070/ha61yd76

Keywords:

अमृता प्रीतम, उपन्यास, नारी विमार्श

Abstract

अमृता प्रीतम को उनकी प्रेम भरी कविताओं, कहानियों और जीवन घटनाओं के लिए साहित्य जगत में प्रसिद्धि प्राप्त हुई है। अमृता प्रीतम का उपन्यास ‘पिंजर‘ नारी विमर्श के समस्त घटकों की प्रस्तुति करता है। यह महिलाओं की वास्तविक स्थिति को उजागर करने वाला उपन्यास है। अमृता प्रीतम ने महिलाओं के दृष्टिकोण से विभाजन की कहानी गढ़ने की योजना दर्शाई है। अर्थात् पिंजर उपन्यास में विभाजन के दौरान महिलाओं को जो कुछ सहना पड़ा उसका सजीव चित्रण किया है। बहुत ही सशक्त तरीके से अमृता प्रीतम ने अपना तर्क दिया कि विभाजन के दोनों पक्षों पर देश की महिलाओं का उल्लंघन उसी तरह है जैसे विभाजन ने स्वयं राष्ट्र का उल्लंघन किया था। महिलाओं के साथ होने वाला दुव्र्यहार विभाजन का प्रतिबिंब और परिणाम दोनों है। पिंजर अपने अस्तित्व के भाग्य और सामाजिक दुर्व्यवहार के खिलाफ गद्य में महिलाओं की पुकार है। अमृता प्रीतम के कथानक राजनीतिक और सामाजिक हेरफेर के परिणामस्वरूप महिलाओं की स्थिति को प्रदर्शित करते हैं यह ऐसी स्थिति है जो चिल्लाती है और नाटकीय और त्वरित बदलाव की गुहार लगाती है। नारी के लिए आजादी की रोशनी जीवन अंधकार बन कर आई है इसी का अमृता जी ने साहित्य में नारी बेहना की छाया तथा इसके विरोध को नारी विमर्श के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

References

अमृता प्रीतम, रसीदी टिकट, पृ015-16

वही, पृ0 18

वही, पृ0 19

वही, पृ0 20

नवभारत, बिलासपुर, शनिवार, 09 मार्च 2013, पृ0 07

अमृता प्रीतम, चुने हुए उपन्यास (पिंजर), पृ. 65

वही, पृ.83

वही, पृ. 91

अमृता प्रीतम, सागर और सीपियाँ, पृ. 34

वही, पृ. 114

अमृता प्रीतम, उनकी कहानी

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Published

2024-09-03

How to Cite

[1]
“अमृता प्रीतम के उपन्यासों में नारी विमार्श”, JASRAE, vol. 21, no. 2, pp. 51–52, Sep. 2024, doi: 10.29070/ha61yd76.

How to Cite

[1]
“अमृता प्रीतम के उपन्यासों में नारी विमार्श”, JASRAE, vol. 21, no. 2, pp. 51–52, Sep. 2024, doi: 10.29070/ha61yd76.